NISHEETH KAVI
गुरुवार
उमेश्वर दत्त"निशीथ"
अपने कैमरे के एक चित्र से प्रारम्भ करते हैं,
प्रकृति वैसे तो सभी को अच्छी लगती है,पर मुझे कुछ अधिक ही भाती है।
1 टिप्पणी:
हरकीरत ' हीर'
4 अक्टूबर 2009 को 6:48 am बजे
निषीत जी आपकी चार पंक्तियाँ अच्छी लगीं ....शुक्रिया .....!!
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निषीत जी आपकी चार पंक्तियाँ अच्छी लगीं ....शुक्रिया .....!!
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