बुधवार

ऐसा कोई मीत मिले तो

ऐसा कोई मीत मिले तो
अगर छाँव में धूप मिले, तो कहना मैंने याद किया है।
वही कोकिली कूक मिले, तो कहना मैंने याद किया है॥
शब्द-शब्द मूरत गढ़ करके,
जिसके गीतों को सुन करके।
दिल में नई तरंगें उठती ,
ऐसी कोई पंक्ति मिले ,तो कहना मैंने याद किया है ॥
देहरी तक आ करके ठिठकी ,
क्यों करके आती है हिचकी ।
जिसने मुझको याद किया हो
ऐसा कोई मीत मिले, तो कहना मैंने याद किया है ॥
चांदी में घोला हो सोना,
कुछ चंचल हो कुछ अलसौना ।
लज्जा कुंदन भी फीका हो
नैना जैसे सीप मिले, तो कहना मैंने याद किया है ॥
जैसे-जैसे घूँघट सरके ,
त्यों -त्यों कितने दर्पण दरके ।
जिसकी पलकें ही घूँघट हों
ऐसा कोई रूप मिले,तो कहना मैंने याद किया है ॥




2 टिप्‍पणियां:

  1. हर रंग को आपने बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों में पिरोया है, बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  2. हौसला अफजाई के लिए धन्यवाद.

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